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लंबी रातें, लंबे रास्ते, बोझिल जीवन || आचार्य प्रशांत, भगवान बुद्ध पर (2013)

2019-11-23 3 Dailymotion

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
१३ जनवरी २०१३
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

प्रसंग:
जागृत व्यक्ति और दुःखी क्यों हो जाता है?
संतो की जीवन बोझिल सा क्यों मालूम पड़ता है?
संत इतना दुःखी क्यों रहते है?
भगवान बुद्ध ने क्यों कहा की संसार दुःखों से भरा है?
मन को कैसे समझें?
जानना का क्या अर्थ होता है?
कैसे जाने की हम क्यों चीज जान चुके है?

संगीत: मिलिंद दाते